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धामी सरकार ने किया पंचायती राज व्यवस्था को तार तार: मैखुरी

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देहरादून।
भाकपा (माले) के प्रदेश सचिव इंद्रेश मैखुरी  ने आशंका जताई है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य अब राजनीति में हिंसा और अपहरण जैसे कुकृत्यों को अपना रहा है और ये इस शांत राज्य में अलार्मिंग है, कि राज्य किस दिशा की ओर जा रहा है।
नैनीताल, द्वाराहाट, बेतालघाट आदि स्थानों पर जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव के दौरान जिस तरह सदस्यों को अगुवा करने की कोशिश और हिंसक घटनाएं हुई, वे बेहद शर्मनाक और निंदनीय हैं।
द्वाराहाट,नैनीताल , बेतालघाट आदि की हिंसक घटनाएं साफ तौर पर भाजपा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साम- दाम- दंड- भेद के जरिये बहुमत का अपहरण करके स्वयं को जीता हुआ दिखाने की कोशिश है। खेदजनक यह है कि इन प्रयासों के जरिये उत्तराखंड की राजनीति में सत्ता संरक्षित गुंडागर्दी की बुनियाद डाल दी गई है, उसका सारा दोष भाजपा और पुष्कर सिंह धामी के ही सिर है।
यह भी अत्यंत क्षोभनीय है कि हिंसा की सभी घटनाओं में पुलिस पूरी तरह मूकदर्शक बनी रही। कुछ महीनों पहले पुलिस महानिदेशक का कार्यभार संभालने वाले दीपम सेठ की अगुवाई वाली उत्तराखंड पुलिस शायद यह भूल गयी है कि वह सत्ता में बैठे दल की बाउंसर नहीं बल्कि कानून और व्यवस्था कायम करने के लिए बना संगठन है, जिसकी निष्ठा संविधान और कानून के प्रति होनी चाहिए।
73 वें सविंधान संशोधन के जरिये त्रिस्तरीय पंचायतों की व्यवस्था इसलिए की गयी थी ताकि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो और नीति- नियोजन में आम लोगों की हिस्सेदारी हो सके। लेकिन उत्तराखंड में यह चुनाव धनबल और अपराधियों के बोलबाले का चुनाव बना दिया गया। यह भी अफसोसनाक है कि इस चुनाव में नियम- कानून की धज्जियां उड़ाने की शुरुआत उत्तराखंड निर्वाचन आयोग से हुई, जिसने उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों के परे जा कर चुनाव लड़ने की अनुमति दी और चुनाव का पटाक्षेप हिंसक घटनाओं के साथ हुआ. उत्तराखंड के तमाम संघर्षशील, अमन पसंद, लोकतंत्र पसंद लोगों को राज्य को अराजकता, धनबल और अपराधियों के चंगुल में धकेलने की कोशिशों के खिलाफ एकजुट हो कर सड़क पर उतरना चाहिए।

 

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