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नौनिहालों की हिफाज़त के लिए संजीदा डीएम डॉ चौहान की अनूठी पहल

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■20 मई को मानव संसाधन दिवस पर विशेष■

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उत्तराखंड जैसे राज्य जिसका पैंसठ फीसदी से अधिक भूभाग वनों से आच्छादित हो वहां के गांव बस्तियों में गुलदार की चहलकदमी न हो, इस बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसे में गुलदार के सॉफ्ट टारगेट की श्रेणी में आने वाले स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए एक व्यापक रणनीति की दरकार है, जिसमें बचाव व जागरूकता के उपाय अधिक कारगर साबित हो सकते हैं। इसी पहलू पर गंभीरता से विचार करते हुए गढ़वाल जनपद के कलक्टर डॉ आशीष चौहान ने एक अभिनव पहल की है। इसके तहत स्कूलों में ‘गुलदार से कैसे सावधानी बरतनी है” नामक पाठ पढ़ाया जा रहा है। डीएम के निर्देश पर डाइट द्वारा यह पाठ तैयार कर दिया गया है।  इसके अलावा स्कूलों में जल्द ही साइबर अपराध, ड्रग्स व पॉक्सो कानून का पाठ भी पढ़ाया जायेगा।

जिलाधिकारी ने शिक्षा को सुरक्षा का माध्यम बनाते हुए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) व शिक्षा विभाग के सहयोग से स्कूली बच्चों के लिए गुलदार एवं तेंदुए से बचाव पर आधारित एक अनूठा पाठ्यक्रम तैयार करवाया। इस पुस्तक में व्यवहारिक उपाय, सतर्कता के तरीके और वन्यजीवों से बचाव की जानकारी सरल और आकर्षक ढंग से दी गयी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अभिनव प्रयास की सराहना करते हुए 2024 में वैकुण्ठ चतुर्दशी मेले के शुभारंभ अवसर पर इस पुस्तक का विमोचन किया। अब यह पाठ्यक्रम जनपद के विद्यालयों में पढ़ाया जा रहा है, जिससे बच्चों में न केवल आत्मविश्वास बढ़ा है बल्कि अभिभावकों को भी मानसिक राहत मिली है।

जिलाधिकारी की पहल सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रही। उन्होंने नशे के बढ़ते खतरे, पॉक्सो कानून की जागरूकता और साइबर अपराधों से बचाव जैसे विषयों पर भी उन्होंने डायट व शिक्षा विभाग को विशेष पाठ्यक्रम तैयार करने को कहा। अब ड्रग्स से बचाव, पॉक्सो एक्ट की जानकारी और साइबर अपराधों से सुरक्षा जैसे विषयों पर आधारित पाठ्य सामग्री भी अंतिम चरण में है और जल्द ही स्कूलों में पढ़ाई जायेगी।
इन पुस्तकों में नशे से होने वाले नुकसान, कानूनी प्रावधान, साइबर ठगी से बचने के उपाय, डिजिटल गोपनीयता और सुरक्षा के व्यावहारिक अध्याय शामिल हैं। इससे बच्चे न केवल सुरक्षित रहेंगे, बल्कि समाज के जिम्मेदार नागरिक के रूप में भी विकसित होंगे।

जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान बताते हैं कि गुलदार एवं तेंदुए के बढ़ते हमलों को देखते हुए यह आवश्यक था कि बच्चों को व्यवहारिक जानकारी दी जाय कि ऐसी स्थिति में कैसे सतर्क रहें और स्वयं की रक्षा करें। इसी सोच के तहत यह विशेष पाठ्यक्रम तैयार कराया गया है, जिसे अब स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही ड्रग्स, पॉक्सो कानून और साइबर अपराध जैसे विषयों पर भी बच्चों और युवाओं को जागरूक करना बेहद जरूरी है। इन विषयों पर भी पाठ्यक्रम तैयार करवाए हैं, जो जल्द ही स्कूलों में लागू किए जाएंगे। हमारा प्रयास है कि शिक्षा के माध्यम से हर बच्चा न केवल अकादमिक रूप से मजबूत हो, बल्कि सामाजिक और डिजिटल खतरों से भी सजग और सुरक्षित रहे।

प्राचार्य डायट स्वराज सिंह तोमर ने बताया कि जिलाधिकारी की पहल पर डायट व शिक्षा विभाग ने बच्चों की सुरक्षा और जागरूकता को केंद्र में रखकर गुलदार एवं तेंदुए से बचाव पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार किया है। इस पाठ्यक्रम में व्यवहारिक जानकारी दी गयी है ताकि बच्चे जंगल या जोखिम भरे क्षेत्रों में सतर्क रह सकें। इसके अलावा ड्रग्स, पॉक्सो और साइबर अपराध जैसे संवेदनशील विषयों पर भी पाठ्यक्रम तैयार कर लिया गया है। जल्द ही पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

 

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