अनसुलझी रह गयी तथाकथित वीआईपी की गुत्थी..!

★बुलडोजर चलवा कर सबूत मिटाने में राजनेता के नाम का नहीं हो पाया खुलासा★
*अनिल बहुगुणा अनिल*
बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्या कांड में तीनों आरोपियों को न्यायालय ने अधिकतम सज़ा का ऐलान तो कर दिया लेकिन इस पूरे मामले में अति विशिष्ट ब्यक्ति(VIP) की गुत्थी अनसुलझी रह गई। साथ ही सबूत मिटाने के लिए रिसोर्ट को बुलडोजर से तोड़ तोड़ दिए जाने में लिप्त राजनेताओं की संलिप्तता भी नहीं खुल पाई। अंकिता भंडारी हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था जिसमें राज्य सरकार को कॉफ़ी जलालत उठानी पड़ी थी। इस जघन्य हत्याकांड की जांच के लिए SIT का गठन किया गया जिसने तमाम राजनीतिक प्रेशर से जूझते हुए मामले में अधिक से अधिक सज़ा दिलाने में खासी मेहनत भी की। इस हत्याकांड की CBI जांच नहीं हो पाई इसका मलाल सभी को रहा। यदि इस जघन्य हत्याकांड की जाँच सीबीआई से हो जाती तो कथित VIP का नाम खुल सकता था साथ ही सबूतों को मिटाने के लिए जिस तरह से वंत्ररा रिसोर्ट को तोड़ा गया उसमें कई राजनेताओं का चेहरा भी सामने आ जाता। दो साल और आठ माह के बाद मिले न्याय ने अंकिता के माता पिता को राहत नहीं दे पाया उनके और समाज द्वारा तीनों आरोपियों के लिए इससे भी अधिक सज़ा की मांग कर रहा था। इस ह्रदयविदारक हत्याकांड ने पूरे प्रदेश को महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज़ से बदनाम कर दिया था। हालांकि इस घटना के बाद सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को राजनीतिक नुकसान तो नहीं हुआ पर उनको सोशियल मीडिया पर खूब तंज सहने पड़े थे। मुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश भाजपा को इसका खास नुकसान उठाना पड़ा था। बताया तो यहाँ तक जाता है कि खुद मुख्यमंत्री भी इस हत्याकांड की CBI जांच के पक्षधर थे। कई लोग इस इसके लिए उच्चतम न्यायालय भी गये लेकिन CBI जाँच के लिए न्यायालय ने अनुमति नहीं दी और SIT जांच पर विश्वास करने की बात कही। इस हत्याकांड पर ट्रायल कोर्ट ने अपना फैसला तो सुना दिया है लेकिन अभी उच्च और उच्चतम न्यायालय में अपील का ऑप्शन बाक़ी है। उम्मीद की जा रही है कि ट्रायल कोर्ट के फैसले को दोनो अपीलीय न्याय बरक़रार रखेंगे।