May 22, 2025
#उत्तराखण्ड

अब प्रदेश में संविदा और कच्ची नौकरियों के भी पड़ेंगे लाले

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अब प्रदेश में संविदा और कच्ची नौकरियों के भी पड़ेंगे लाल

अब स्वीकृत विभागीय पदों पर नियमित नियुक्ति होंगी●

 

 

देहरादून।

प्रदेश में बेरोजगार युवाओं को कच्ची और संविदा आधारित नौकरियां भी नहीं मिल पायेंगी। संविदा कर्मियों के पक्ष में न्यायालयों द्वारा दिये गये आदेशों से सरकार और शाशन लगातार असहज होता रहा है। कई एक मामलों में तो राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना पड़ा था। अब राज्य सरकार ने इन सब से बचने के लिए नया आदेश जारी कर दिया है। प्रदेश शासन ने कई अड़चनों का हवाला देते हुए नियमित पदों के सापेक्ष किसी भी प्रकार की दैनिक वेतन/संविदा/कार्यप्रभारित / नियत वेतन/अंशकालिक / तदर्थ एवं आउटसोर्स माध्यम से नियुक्तियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया है।
इस सम्बंध में मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की ओर से नियमों व दिक्कतों को सामने रखते हुए आदेश जारी कर दिए गए हैं।
जारी आदेश में कहा गया है कि अब विभागीय पदीय संरचना में स्वीकृत नियमित पदों पर केवल नियमित चयन प्रक्रिया के माध्यम से ही कार्मिकों की नियुक्तियाँ की जाएं।
सम्बंधित अधिकारियों को भेजे पत्र में मुख्य सचिव ने कहा है कि चयन आयोगों के नियमित चयन परिणाम के फलस्वरूप चयनित अभ्यर्थियों को जिन पदों पर तैनात किया जाना है, उन पदों पर पूर्व से आउटसोर्स / संविदा आदि पर कार्मिक तैनात होने और इन कर्मियों के पक्ष में सक्षम न्यायालयों द्वारा स्थगन आदेश, कार्यों में हस्तक्षेप से निषेध जैसे विविध आदेश पारित किये गये हैं।
इन परिस्थितियों में जहाँ एक ओर नियमित रूप से चयनित अभ्यर्थियों की पदस्थापना की बाध्यता है, किन्तु मा० न्यायालय के आदेशों के क्रम में उन्हें कार्यभार ग्रहण कराने में कठिनाई आ रही है, वहीं दूसरी ओर मा० न्यायालयों के आदेशों का अनुपालन न होने पर अवमानना की स्थितियों उत्पन्न हो रही हैं। ऐसी विधिक अड़चनों में नियुक्ति अधिकारियों के समक्ष निरन्तर असंमजस की स्थिति बनी हुई है।
मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेश में आउटसोर्स/ संविदा कर्मियों के नियमितीकरण की मांग को भी बड़ी दिक्कत बताया गया है।
आदेश में कहा गया है कि,बनियमित पदों के सापेक्ष कामचलाऊ व्यवस्था के तहत नियोजित आउटसोर्स कार्मिकों द्वारा इन पदों के सापेक्ष नियमितीकरण की मांग की जा रही है और न्यायालयों में इस आशय के वाद भी दायर किये गये हैं। इससे एक ओर नियमित चयन प्रक्रिया बाधित हो रही है, वहीं दूसरी ओर विभागों को विधिक प्रक्रियाओं/अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है।

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