सुप्रीम कोर्ट ने बागेश्वर के खनन कारोबारियों की याचिका को किया खारिज़
दिल्ली।
खड़िया खदानों पर हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक के ख़िलाफ़ उच्चतम न्यायालय पहुँचे खनन कारोबारियों को राहत नहीं मिल पाई।खड़िया खनन कारोबारियों ने बागेश्वर जिले में खड़िया खनन पर हाई कोर्ट की रोक के विरुद्ध विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे खनन कारोबारियों को फिर भी कोई राहत नहीं मिल पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने खनन कारोबारियों को नोटिस का जवाब देकर हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखने के निर्देश देते हुए याचिका सुनवाई योग्य न मानते हुए निस्तारित कर दी।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार व न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की संयुक्त पीठ में बागेश्वर में खनन कारोबार करने वाली कंपनियों कटियार माइंस एंड इंडस्ट्रीयल कारपारेशन, जगन्नाथ मिनरल्स, दिनेश परिहार, जयधौलीनाग माइंस एंड मिनरल्स, उत्तराखंड माइंस एंड मिनरल्स आदि की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कोर्ट कमिश्नर व न्याय मित्र की ओर से हाई कोर्ट नैनीताल में पेश रिपोर्ट मनगढ़ंत बताया गया था। याचिका में न्याय मित्र व कोर्ट कमिश्नरों की विशेषज्ञता पर भी सवाल उठाए गए। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि हाई कोर्ट ने उनका पक्ष नहीं सुना गया। यह भी कहा कि मामले में शिकायत बागेश्वर क्षेत्र विशेष की थी लेकिन हाई कोर्ट ने पूरे जिले में खड़िया खनन पर रोक लगा दी है। खड़िया खनन से संबंधित मामला एनजीटी में भी विचाराधीन है। याचिका में कहा गया कि खनन पर रोक लगने से उनका कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, लिहाजा रोक तुरंत हटाई जाए। खंडपीठ ने पर्यावरण के मामले को खनन से ऊपर बताते हुए इस मामले में नैनीताल हाई कार्ट के आदेश पर हस्तक्षेप से इन्कार करते हुए याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिए कि हाई कोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए अपना पक्ष उच्च न्यायालय में रखें। गौरतलब है कि नैनीताल हाई कोर्ट ने बागेश्वर जिले में अगली सुनवाई तक खड़िया खनन पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकार ने कोर्ट के निर्देश पर एक्सपर्ट की एक कमेटी का गठन भी किया था जो आजकल बागेश्वर जिले की खड़िया खदानों का निरीक्षण कर रही है और जल्द ही अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौपेगी।