पत्रकारिता जगत में दिनेश जुयाल सदैव याद रखे जायेंगे, सीएम धामी ने दी श्रद्धांजलि
पौड़ी॥
वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल का कल सांय देहरादून के एक अस्पताल में हृदयाघात से देहान्त हो गया। पत्रकारिता जगत में उनका निधन किसी बज्रपात से कम नहीं है। वे अमर उजाला और हिन्दुस्तान के सम्पादक भी रहे और पत्रकारिता में अपनी बेबाक व निष्पक्ष टिप्पणियों के लिए चर्चित रहे।
दिनेश जुयाल का बीते अक्टूबर में अचानक स्वास्थ्य खराब हुआ था। जांच कराने पर पता चला कि उन्हें किडनी का कैंसर है। पीजीआई चंढीगड़ से उन्होंने इलाज कराना शुरू किया था। कुछ दिन पहले ही वे चंढीगड़ से देहरादून आये थे। बताया गया है कि कल 1 नवम्बर को उनकी तीसरी कीमो हुई थी। थोड़ा स्वस्थ होने पर उन्हें घर के लिए डिस्चार्ज कर दिया गया था। कल सांय उनको दिल का दौरा पड़ा। उन्हें इन्द्रेश हॉस्पिटल मे भर्ती किया गया था लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। 65 वर्ष की आयु में ही उनका इस तरह दुनिया को अलविदा कहना पत्रकारों व पत्रकारिता जगत को व्यथित कर गया।
पौड़ी गढ़वाल में नैनीडांडा क्षेत्र के मूल निवासी दिनेश ने उस दौर में पत्रकारिता शुरू जब पत्रकारिता और पत्रकारों के बारे में गढ़वाल में लोग कम ही जानते थे। पत्रकार उमेश डोभाल के हत्या के बाद ही गढ़वाल में पत्रकारिता तो घर-घर तक ही नहीं पहुँची बल्कि पत्रकारों को भी पहचान मिलने लगी थी। उस समय दिनेश अमर उजाला के मेरठ संस्करण में काम करते थे। आम पत्रकारों की तरह दिनेश ने पत्रकारिता में अपनी पहचान बनाने के लिए खूब संघर्ष किया। लेकिन उनकी पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों के प्रति उनकी निष्ठा, संवेदनशीलता, निष्पक्षता और कर्मठता ने उन्हें बुलन्दी तक पहुँचाया। इसी निष्ठा और लगन को देखते हुए अमर उजाला ने उन्हें कानपुर संस्करण में और हिन्दुस्तान ने उन्हें देहरादून संस्करण का संपादक नियुक्त किया था।
दिनेश एक बेहद सरल व सौम्य स्वभाव के मिलनसार व्यक्ति थे। लेकिन पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। दैनिक अखबार से सेवानिवृति के बाद भी वे पत्रकारिता के हित और वसूलों के लिए निजी जीवन में सदैव सक्रिय रहे। उन्होंने कुछ समय के लिए हे0न0ग0के0विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में भी शैक्षणिक कार्य किया था। पत्रकारिता में उन्होंने भले ही लम्बे समय तक मैदानी क्षेत्रों में काम किया लेकिन पहाड़ की पीढ़ा हमेशा उनके मन में रची-बसी रही। देहरादून में दैनिक हिन्दुस्तान में काम करते हुए उन्होंने पहाड़ के हितों की इसी सोच को आगे बढ़ाने का काम किया और कई बार पहाड़ के विकास हेतु राजनीति और नेताओं पर अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए चर्चित रहे।
पत्रकार दिनेश पत्रकारिता के वर्तमान दौर से नाखुश थे। उनका कहना था कि आज की पत्रकारिता रौ में बहने वाली है। संवेदनशीलता तटस्थता व निष्पक्षता पत्रकारिता से गायब हो गयी है। जनसरोकारों की पत्रकारिता कहीं खो गयी है और पत्रकार पक्षकार की भूमिका में नजर आते हैं और यही कारण है कि आज पत्रकारिता में विश्वास का संकट पैदा हो गया है। उनका कहना था कि पत्रकारों को पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों से कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार पिछले कुछ सालों से उत्तराखण्ड में पत्रकारिता और इसके नैतिक मूल्यों व जनसरोकारों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित थे। उत्तराखण्ड में पत्रकारिता को दिशा निर्देशित करने वाले एक सक्रिय स्तम्भ के रूप में दिनेश को लम्बे समय तक याद किया जायेगा। उत्तराखण्ड में जनवादी सोच की एक अलग छवि रखने वाले पत्रकार दिनेश को अश्रूपूरित हार्दिक श्ऱ़द्धांजलि।
उनके निधन पर प्रदेश के मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी व सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने दुःख व गहरी संवेदना व्यक्त की है। पौड़ी में पत्रकारों ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। वरिष्ठ पत्रकार अनिल बहुगुणा व बिमल नेगी ने कहा है कि उन्हें पत्रकार दिनेश जुयाल के साथ काम करने का मौका मिला है। उन्होंने अपने साथ पत्रकारों को सदेव पत्रकारिता में बेहतर मुकाम हासिल करने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि पत्रकार जुयाल के पत्रकारिता व पहाड़ के हित में किये गये कार्यों को लम्बे समय तक याद रखा जायेगा।