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सरकार के गले की फांस बन चुके प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव

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हिमतुंग वाणी ब्यूरो

उत्तराखण्ड में छात्रसंघ चुनाव सरकार के लिए गले की फांस बन चुके हैं। चुनाव को लेकर प्रदेश में छात्र पिछले लम्बे समय से आन्दोलनरत हैं। वे आत्मदाह जैसे आत्मघाती कदम भी उठा चुके हैं। वहीं, सरकार पूरी तरह अनिर्णय की स्थिति में है। सरकार को पूरी तरह असमंजस की स्थिति में देखते हुए आन्दोलनरत छात्र इस मुद्दे पर पुनः अदालत की शरण में जाने का मन बना रहे हैं।
छात्र ने की आत्मदाह की कोशिश
छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर बीते सोमवार को चौघनपाटा के एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में टाइगर ग्रुप के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी दीपक लोहनी ने पुलिस के सम्मुख ही अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश की है। इस घटना में दीपक करीब 20 से 25 प्रतिशत तक झुलस गया है। दीपक को काफी मशक्कत के बाद बचाया जा सका। उसे जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। दूसरी ओर पुलिस ने एनएसयूआई के अध्यक्ष पद के दावेदार अमित बिष्ट के आत्मदाह के प्रयास को विफल कर दिया। प्रदेश में राजकीय विश्वविद्यालयों और कई महाविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव को लेकर छात्रों का आन्दोलन चल रहा है। छात्रसंघ चुनाव समय पर न कराये जाने को लेकर पूरे प्रदेश में छात्रों अत्यधिक नाराजगी है। छात्रों की नाराजगी इसलिए भी अधिक बढ़ी है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव निर्धारित समय पर पूरे हो चुके हैं।
उच्च न्यायालय में जनहित याचिका
इधर, छात्रसंघ चुनावों को लेकर देहरादून निवासी महिपाल सिंह ने समाचार पत्रों की खबर को आधार बनाकर एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय में दायर की थी। इसमें कहा गया था कि राज्य सरकार ने 23 अप्रैल, 2024 को एक शैक्षणिक कलैण्डर जारी किया था। इसमें छात्रसंघ चुनाव 30 सितम्बर, 2024 तक कराये जाने के निर्देश दिये गये थे। इसके बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने न तो समय पर चुनाव कराये, न ही शासन से दिशा-निर्देश प्राप्त किये। ऐसा न होना लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघन है और इससे छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर पढ़ रहा है।
उच्च न्यायालय में कार्यवाहक न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ में सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि विश्वविद्यालयों ने सरकार के 23 अप्रैल, 2024 के आदेश का अनुपालन नहीं किया और अब चुनाव कराने की समय सीमा निकल चुकी है। इसलिए अब छात्रसंघ का चुनाव कराना संभव नहीं है। इसी को आधार बना कर अदालत ने जनहित याचिका को अन्तिम रूप से निस्तारित कर दिया।
सरकार अनिर्णय की स्थिति में
समय पर चुनाव न होने पर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रों भारी आक्रोश दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि वे आत्मदाह जैसे कदम उठाने में भी पीछे नहीं हैं। प्रदेश के उच्च शिक्षा मन्त्री डॉ0 धनसिंह रावत ने सितम्बर के आखिरी सप्ताह में छात्रसंघ चुनाव कराये जाने की बात कही थीं लेकिन इस सम्बन्ध में कोई आदेश जारी नहीं कराया गया। सरकार यह मान कर चल रही है कि उसने अपने 23 अप्रैल, 2024 के आदेश में यह निर्देश पहले ही विश्वविद्यालयों को दे दिया था। दूसरी तरह विश्वविद्यालयों का यह कहना है कि छात्रसंघ चुनाव के लिए सरकार की तरह से अलग से पुनः कोई आदेश जारी नहीं किया गया। इसी बीच उच्च शिक्षा सचिव ने भी डॉ0 रंजीत सिन्हा ने 25 को छात्रसंघ चुनाव कराये जाने का वायदा किया था लेकिन आदेश जारी न होने के कारण उनका यह वायदा भी खोखला ही साबित हुआ है।
विपक्ष हमलावर
छात्रसंघ चुनावों को लेकर छात्रों के आन्दोलन को देखते हुए विपक्ष भी सरकार को घेरने में पीछे नहीं है। प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने इसे छात्रों के लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन बताया है। उन्होंने कहा कि छात्रसंघ चुनाव देश की राजनीतिक नीति निर्माण में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। छात्रसंघ चुनाव राजनीति की प्रथम सीढ़ि है जो नवीन राजनीतिक पीढ़ी को तैयार करती है। उन्होंने सरकार से प्रदेश में पारदर्शी, निष्पक्ष और नियमित रूप से छात्रसंघ चुनाव कराये जाने की मांग की है।
अदालत में भी जा सकते हैं आन्दोलनकारी छात्र
इधर, छात्रों का एक वर्ग सरकार की इस मुद्दे पर चुप्पी को देखते हुए उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने पर भी विचार कर रहा है। देहरादून के प्रतिष्ठित डीएवी कॉलेज के छात्रसंघ उम्मीदवारों ने आन्दोलन के दौरान यह बात कही है कि सरकार यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं करती तो वह अदालत की शरण में जा सकते हैं।

 

 

 

 

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