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पौड़ी: अचार-पापड़ बेल कर नहीं , अब सौर उर्ज़ा से स्वावलंबी बनेंगी महिलाएं

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हिमतुंग वाणी स्पेशल। अजय रावत अजेय/अनिल बहुगुणा
पौड़ी॥

सीडीओ गढ़वाल गिरीश चन्द्र गुणवंत

जिले में नवनियुक्त मुख्य विकास अधिकारी गिरीश चंद्र गुणवंत की योजना मूर्त रूप धारण करती है तो भविष्य में गढ़वाल जनपद के स्वयं सहायता महिला समूहों की पहचान सफल एंटरप्रेन्योर के रूप में होगी। दरअसल सीडीओ गुणवंत महिला समूहों को परंपरागत अचार, पापड़ व जूस जैसे उद्यमों से मुक्त कर उन्हें सौर ऊर्जा उत्पादन के रूप में स्थापित करने जा रहे हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री की सौर ऊर्जा सम्बन्धी महत्वाकांक्षी योजना के तहत दिए जा रहे प्रोत्साहन के मानकों में और शिथिलता दी जाएगी।

हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बनारस में हैंडलूम मशीनों को चलाने हेतु महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को सोलार प्लांट के जरिये बिजली दिए जाने की पहल की जा चुकी है। इतना ही नहीं सेल्फ हेल्प ग्रुप के सोलार प्लांट को ऑन ग्रिड भी किया गया है, जिससे प्रति यूनिट साढ़े चार रुपया महिला समूहों को भी मिल रहा है। किंतु उत्तराखंड राज्य में यह पहली योजना है, जिसमें सोलार प्लांट को ऑन ग्रिड कर समूहों को प्रति यूनिट साढ़े चार रुपये दिए जाएंगे।

सीडीओ गढ़वाल गिरीश चन्द्र गुणवंत की जिले में महिला स्वयम सहायता समूहों की पहचान बदलने की मंशा है। इसके तहत जिले के महिला समूहों को परंपरागत कुटीर उद्योगों से मुक्ति दिलाकर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सौर ऊर्जा अभियान से सीधे जोड़ने की मंशा है। गढ़वाल जनपद प्रदेश का ऐसा जिला होगा जिसमें महिला समूहों कि पहचान सौर ऊर्जा उद्यमी के रूप में होगी। इस पायलट प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने के लिए महिला समूहों को सोलर एनर्जी में तय मानकों में जनपद स्तर पर ढील दिए जाने का भी प्रावधान है।
इस योजना के तहत महिला समूह भूमि की उपलब्धता के मुताबिक 10 किलोवाट से लेकर अधिकतम सीमा तक सौर प्लांट स्थापित कर सकेंगे। 10 नाली भूमि की उपलब्धता पर 100 किलो वाट क्षमता का प्लांट लगाया जा सकता है। यदि समूह की सदस्य किसी महिला के नाम पर भूमि दर्ज न हो तो पति की पावर ऑफ एटॉर्नी के आधार पर भी उसे इस प्लांट में शामिल किया जा सकता है। सीडीओ बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए दिए जाने वाले ऋण पर 45 प्रतिशत सब्सिडी के साथ साथ जिला सहकारी बैंक से शून्य ब्याजदर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किये जायेंगे।

जिले में बंजर होती खेती की जमीन को देखते हुए इस योजना का खाका बनाया जा रहा है। सोलार प्लांट के नीचे महिलाएं सीजनल सब्जियों का भी उत्पादन कर अतिरिक्त कमाई कर सकती हैं। यदि जिले के चीफ डेवेलपमेंट आफिसर जीसी गुणवंत की यह योजना परवान चढ़ी तो न केवल ऊर्जा ग्रिड में बड़े पैमाने पर बिजली का संचय होगा बल्कि महिला स्वयं सहायता समूह अपेक्षाकृत अधिक आय के साथ एक हाई टेक चेहरे के साथ देश प्रदेश के समक्ष नजर आएंगे।

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