उत्तराखंड: चाय उत्पादन को रोजगार से जोड़ने को नई चाय नीति
●प्रदेश में जल्दी आयेगी नयी चाय नीति●
◆चाय का उत्पादन, क्षेत्रफल के साथ रोजगार बढ़ाने पर रहेगा जोर◆
प्रदेश सरकार चाय बगानों का कायकल्प करने, इनका क्षेत्रफल बढ़ाने, रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने और इन्हें पर्यटक गतिविधियों से जोड़ने के लिए नयी चाय नीति का ड्राफ्ट तैयार कर रही है।
प्रदेश के उद्यान सचिव एस0 एन0 पाण्डेय ने इस बात की पुष्टि की है कि प्रदेश सरकार नयी चाय नीति का ड्राफ्ट तैयार कर रही है। बताया जा रहा है कि विभाग से चाय नीति का दस्तावेज प्राप्त होते ही इसे अन्तिम रूप दिया जायेगा। सरकार की मंशा है कि नयी चाय नीति में चाय उत्पादन को बढ़ावा दिये जाने के साथ ही रोजगार के अवसरों में वृद्धि की जाय और इसे पर्यटन गतिविधियों से जोड़ा जाय।
बताया जा रहा है कि चाय के पुराने बागानों को काश्तकारों को देने, चाय फैक्टरियों को पीपीपी मोड पर देने और चाय बागानों के क्षेत्रफल में वृद्धि करने पर नयी चाय नीति में जोर रहेगा। पहाड़ में चाय उत्पादन की सम्भावनाओं को देखते हुए सरकार नयी चाय नीति में इसे बढ़ावा व प्रोत्साहन देने पर जोर दे रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए पूर्व में भी उद्यान विभाग द्वारा चाय नीति का ड्राफ्ट शासन को भेजा था लेकिन शासन ने यह कह कर उसे लौटा दिया कि इसमें चाय बागानों में पर्यटन गतिविधियों को शामिल नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि नयी नीति में चाय बागानों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु कैफेटेरिया, ट्रेल, चाय उत्पादन इकाई व्यवस्था के साथ ही सम्बन्धित क्षेत्रों में होमस्टे के संचालन पर भी जोर दिया जायेगा।
प्रदेश के आठ पर्वतीय जनपदों में चाय विकास बोर्ड के अन्तर्गत वर्तमान में चाय की खेती के लिए 1473 हे0 क्षेत्र चिन्हित हैं जिसमें से 1371 हे0 क्षेत्र में चाय की खेती हो रही है। प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख किग्रा0 चाय का औसत उत्पादन भी इसमें हो रहा है। पौड़ी जनपद में खिर्सू ब्लाक में सिंगोरी (कठूली) और खातस्यूँ ब्लाक में सीकू के चाय बागानों में चाय का उत्पादन हो रहा है।
नयी चाय नीति में उत्तरकाशी और टिहरी सहित अन्य पर्वतीय जनपदों में भी चाय की खेती की संभावनाएं तलाशे जाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही चाय का जायका बढ़ाने और क्षेत्रफल में वृद्धि किये जाने पर भी नयी नीति में जोर दिये जाने की संभावना है।