शिक्षा विभाग: ठेके के फोर्थ क्लास कर्मी रखने को पड़ेंगे ई-ठेके
●ई-टेंडरिंग से होगी आउटसोर्स ऐजेन्सी का चयन●
◆प्रदेश के रा0 मा0 विद्यालयों में 2500 चतुर्थ श्रेणी पदों पर आउटसोर्स से होंगी नियुक्तियां◆
पौड़ी।
प्रदेश में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को आउटसोर्स से भरने के लिए जेम पोर्टल के स्थान पर ई-टेंडरिंग से आउटसोर्स ऐजेन्सी का चयन किया जायेगा। शासनस्तर पर इसकी कवायद जारी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में रिक्त पड़े 2500 चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के पदों को संशोधित मानदेय के साथ नियुक्ति कर दी जायेगी।
प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों व आशासकीय विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी के पदों को भरे जाने की मांग वर्षों से की जा रही है। सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों से इन पदों पर आउटसोर्स से नियुक्तियां किये जाने की चर्चायें चल रही हैं। समय-समय पर इसके लिए शासनस्तर से आदेश भी किये गये हैं लेकिन सारा अवरोध आउटसोर्स ऐजेन्सी के चयन को लेकर रहा है। सरकार ने पहले पीआरडी, उपनल और सेवायोजन विभाग को आउटसोर्स ऐजेन्सी बनाये जाने पर भी विचार किया था लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद शासनस्तर पर आउटसोर्स ऐजेन्सी के लिए जेम पोर्टल पर ऐजेन्सी के चयन के लिए प्रक्रिया शुरू की गयी। इसमें लगभग 78 ऐजेन्सीज ने आवेदन भी किया लेकिन विभाग के मानकों पर एक भी ऐजेन्सी खरी नहीं उतर पायी।
अब उक्त स्थिति को देखते हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के चयन के लिए जेम पोर्टल के स्थान पर ई-टेंडरिंग प्रक्रिया से आउटसोेेेेर्स ऐजेन्सी का चयन किये जाने की बात की जा रही है।
प्रदेश के शिक्षा मन्त्री डॉ0 धनसिंह रावत द्वारा चतुर्थ श्रेणी पदों पर आउटसोर्स से शीघ्र नियुक्तियां किये जाने के निर्देश शासन और विभाग को दिये हैं। बताया जा रहा है कि शासनस्तर पर नियुक्तियों हेतु इस ई-टंेडरिंग के प्रस्ताव पर मंथन चलने के साथ ही चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के मानदेय में संशोधन करने का भी प्रस्ताव किया गया है। पहले मानदेय 15000 रु0 रखा गया था जिसे केन्द्र में हाल ही जारी न्यूनतम मजदूरी की दरों में संशोधन को देखते हुए 20000 रु0 करने का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रस्ताव को स्वीकृति हेतु वित्त विभाग को भेजा गया है।
ज्ञात हो कि प्रदेश के राजकीय अव अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में लम्बे समय से चतुर्थश्रेणी के पद खाली हैं। प्रदेश में छटवें वेतन आयोग के बाद ही चतुर्थ श्रेणी के इन पदों को मृत कर दिया गया था। इन पदों पर वर्षों से नियुक्तियां न होने के कारण अनेक विद्यालय चतुर्थ श्रेणी कर्मी विहीन हैं और विद्यालयों में दैनिक कार्य या तो छात्रों को या स्वयं प्रधानाचार्य/स्टाफ को करना पड़ता है।