#उत्तराखण्ड

नत्थू विल्सन की प्रेम कहानी को फिर जीवंत कर दिया सुर सम्राट नेगी दा ने

Share Now

●हर्षिल क्षेत्र के इस प्राचीन लोकगीत को अपने स्वरों में पिरोया प्रसिद्ध लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने●

विमल नेगी, पौड़ी

प्रसिद्ध लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने आधिकारिक यू-ट्यूब चैनल पर नत्थू विल्सन और रुदा-गुदौरि (गोदावरी) की प्रेम कहानी सम्बन्धी हर्षिल क्षेत्र में एक जमाने में चर्चित रहे लोकगीत को अपने स्वरों में पिरो कर रिलीज किया। गुजरे शनिवार को रिलीज हुए इस लोकगीत को अभी तक रिकॉर्ड संख्या में लोग देख और सुन चुके हैं।
यह लोकगीत कुल 5 मिनट 47 सेकिंड का है। शुरूआत 1 मिनट 50 सेकिंड के भीतर इसमें नत्थू विल्सन के पिता फ्रेडरिक विल्सन, उसके पुत्रों, नत्थू विल्सन और रुदा-गुदौरि दो बहिनों की प्रेम कहानी और इस लोकगीत को खोजकर लाने का विवरण है। इसके बाद चार मिनट तक यह गीत चलता है। यह एक वीडियो गीत है। इसमें हर्षिल और धराली के मनमोहक दृश्यों को फिल्माया गया है साथ ही पहाड़ी नक्काशी वाला देवदार की लकड़ी से बना विल्सन का वह भव्य बंगला भी दिखायी देता है जो बाद में एक अग्निकांड की भेंट चढ़ गया था। गीत संयोजन में प्राचीनता का पुट बनाये रखने के लिए उस दौर के कुछ रेखाचित्रों का प्रयोग भी इसमें हुआ है।

लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी अब तक पहाड़ के दर्जनों ऐसे लोकगीतों को अपना स्वर दे चुके हैं जो विलुप्त होने के कगार पर थे। परन्तु नत्थू और रुदा-गुदौरि के इस सवा सौ साल पुराने लोकगीत का इसलिए विशेष महत्व है क्यों कि इसके पीछे एक ऐसा इतिहास भी सामने आया है जिसे अब तक पहाड़ के बहुत कम लोग जानते थे और जो इतिहास एक ऐसे फिरंगी से जुड़ा है जो अफगानिस्तान की लड़ाई में अपने एक सीनियर अधिकारी की हत्या कर अपनी फौज से भागकर छिपते हुए यहाँ आया था फ्रेडरिक विल्सन नाम के इस फिरंगी ने स्थानीय लोगों के सहयोग से अपनी मेहनत और चतुराई से वन्य जीवों के शिकार और लकड़ी के कारोबार की बदौलत बेपनाह दौलत एकत्रित की और बाद में इस इलाके में उसे एक राजा जैसा रूतबा मिल गया। फ्रेडरिक की दो पत्नियों से तीन लड़के हुए और नत्थू विल्सन में उनमे सबसे छोटा लड़का था। परन्तु बताया जाता है कि नत्थू एक आवारा और बदचलन था और उसका बाप फ्रेडरिक उससे नाखुश रहता था। बताया तो यहाँ तक जाता है कि नत्थू रुदा और गोदावरी (गदौरि) दो बहिनों की खुबसूरती का दीवाना हो गया था और उन्हें जबरन उठाकर अपने घर लाया था। परन्तु सच्चाई जो भी हो इस लोकगीत में भी यह कहीं नहीं कहा गया है कि उक्त दोनों बहिनें भी नत्थू से प्रेम करती थी। हाँ, उनके नत्थू के बंगले पर लाये जाने का जिक्र जरूर है।

इस लोकगीत के सम्बन्ध में स्वयं लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी का कहना है कि 1992 में जब वे उत्तरकाशी में थे तो उन्हें फ्रेडरिक के बंगले पर जाने का मौका मिला था। उस समय उन्हें किसी ने नहीं बताया था कि विल्सन के परिवार के सदस्यों पर कोई लोकगीत भी है। उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्हें पत्रकार मित्र राजू गुसांई के माध्यम से यह लोकगीत उपलब्ध हुआ और उन्होंने इसे सार्वजनिक करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि लोकगीत को डिजिटल बनाये जाने का प्रयास होना चाहिए अन्यथा ये हमेशा के लिए विलुप्त हो सकते हैं।

■नत्थ और रुदा-गुदौरि का लोकगीत-■

ताड़ी बुनी तांद 2 नाथू कौरा सैबा
तेरी धराली सुनी रौंदी रुदा गोदारी बांदा
पाकी जाली कौणी 2 नाथू कौरा….
हरशिला न चली बुसेरी घोड़ी अस्वारी नाथू कौरा….
खुटू का खड़।वा 2 नाथू कौरा….
धराली पहुचिके ताड़ी पड़ी पड़।वा नाथू कौरा….
लाठू.काटी लं।बू 2 नाथू कौरा….
तड़ी तपड़ फुडू काना सजीगे तंबू नाथू कौरा….
पूज्यता पितरा 2 नत्थू कौरा….
कनु जांदू नाथू शुय बुटु भीतर नाथू कौरा….
तड़ी बुण बल तांदा 2 नाथू कौरा….
लयाई छोड़ी तुमना रुदा गोदारी बांदा नाथू कौरा….
बंदूकों कू गाज 2 नाथू कौरा….
रुदा गुदोरी लियाणी बंगला कू साज नाथू कौरा….

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *