..तो विजिलेंस ने धामी सरकार के हाथ में थमाया गर्म दूध का गिलास..!
“अजय रावत अजेय”
तो क्या गणेश जोशी पर मुकदमें की अनुमति देने का साहस कर पायेगी धामी कैबिनेट..!
गणेश जोशी पर मुकदमें की अनुमति मिली तो पार्टी में मचेगी नई रार..!
आय से अधिक संपत्ति के मामले में विजिलेंस द्वारा कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगे जाने के बाद निश्चित रूप से सरकार उहापोह की स्थिति में होगी। बीते कुछ वर्षों में संगठन विस्तार के नाम पर हो अथवा स्थानीय निकाय व पंचायतों में अपनी सत्ता की संख्या बढ़ाने के मन्तव्य से भाजपा में अनेक ऐसे नेता शामिल हो चुके हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के मामले लम्बित हैं। अनेक मामलों में तो न्यायालय भी कड़ी टिप्पणी कर चुका है। अब यदि मंत्री परिषद गणेश जोशी पर मुकदमा दायर करने की अनुमति देती है तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि गणेश जोशी ही नहीं बल्कि पार्टी की अंदरूनी रार के चलते हाशिये में पड़े नेता भी अन्य सभी मामलों में कठोर कार्रवाई की मांग करने लगें। बहरहाल सरकार के लिए यह मामला गर्म दूध की भांति होने लगा है। यदि अनुमति देते हैं तो पार्टी के अंदर ही रार मचना तय है और यदि विजिलेंस के प्रस्ताव को ठुकराते हैं तो जनता के समक्ष जीरो टॉलरेंस के नारे को कैसे जस्टिफाई कर पाएंगे।
इधर गढ़वाल कमिश्नर वीएस पांडेय द्वारा जिलाधिकारी देहरादून द्वारा जिला बदर किये गए अधिवक्ता व आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी के जिला बदर को निरस्त किये जाने के बाद सरकार पहले ही बैकफुट की पोजीशन में है। गौरतलब है कि विकेश नेगी की शिकायत व आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर ही यह आशंका बलवती हुई है कि गणेश जोशी ने अपनी आय से अधिक की संपत्ति अर्जित की है। अब आने वाले 8 अक्टूबर तक सरकार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना होगा। विकेश नेगी को बाकायदा फिल्मी अंदाज में वीडियोग्राफी करते हुए जिले की सरहद से बेदखल करने से यह मामला पब्लिक डोमेन में काफी वायरल हो चुका था। अब विकेश के बाइज़्ज़त जिले में दाखिल होने व गणेश जोशी के मामले में विजिलेंस द्वारा सरकार को उलझन भरे दोराहे पर खड़ा कर देने से यह मामला अब जल्दी से शांत होगा, ऐसी उम्मीद कम ही है।
इस बात में दोराय नहीं हो सकती कि भाजपा में आंख बंद कर बिना स्क्रीनिंग के संगठन विस्तार की जो कसरतें बीते वर्षों में हुई उससे अनेक आरोपी व दागी नेता भी पार्टी में अंदर तक घुस चुके हैं। ऐसे नए आगंतुकों से पार्टी के पुराने व समर्पित कार्यकर्ता व नेता नैराश्यपूर्ण स्थिति में हाशिये में दुबके हुए हैं। किंतु यदि गणेश जोशी के खिलाफ मुकदमा करने की अनुमति मिलती है तो पार्टी के अंदर से ही पार्टी में मौजूद भ्रष्टाचार के आरोपी अनेक नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बनना तय है। इसके विपरीत यदि सरकार विजिलेंस की मांग को किसी तरह कानूनी रूप से मैनिपुलेट कर मुक़दमे की मांग को खारिज़ कर देती है तो जनता व विपक्ष के सवालों के समक्ष सरकार निरुत्तर होगी।