#उत्तराखण्ड

रियल हीरो: केदार के हरजाई मौसम में कैप्टेन हरजाई का साहस व सलाह काम आयी

Share Now
कैप्टेन जितेंद्र हरजाई

अजय रावत अजेय

31 जुलाई की शाम थी, बाबा केदार के धाम में अचानक मौसम ने करवट ली। चारों ओर घने कोहरे की चादर बिछ गई। देखते ही देखते मूसलाधार बारिश भी शुरू हो गयी। इस बीच वहां अपना चॉपर लेकर आये एक निजी कम्पनी के पायलट कैप्टेन जितेंद्र हरजाई को भी इतना वक़्त नहीं मिल पाया कि वह श्रद्धालुओं को लेकर वापसी के लिए टेक ऑफ कर सकें। लिहाज़ा उन्हें 31 जुलाई की रात को केदारनाथ में ही रुकने को बाध्य होना पड़ा। उसके पश्चात केदारधाम में 1 अगस्त की सुबह मौसम खुला तो कैप्टन जितेंद्र हरजाई ने वापसी की उड़ान भरी, लेकिन जब उन्होंने फ्लाइट से केदारबाबा के पैदल रास्ते को देखा तो उन्हें सब कुछ सामान्य नहीं लगा। रास्ते पर अन्य दिनों की तरह निरंतर आवाजाही नहीं बल्कि जगह जगह पैदल श्रद्धालुओं का जमावड़ा दिखाई दे रहा था। कैप्टन जितेंद्र को यह समझते देर न लगी कि केदारनाथ के पैदल रास्ते पर रात को बारिश ने अवश्य तांडव किया है। हालांकि केदारनाथ में ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि इस कदर अतिवृष्टि हुई होगी। इसके पश्चात 5 दिनों तक फंसे हुए यात्रियों को निकालने के लिए जितना भी हेली ऑपरेशन हुआ, उसमे कैप्टन जितेंद्र ने खामोशी के साथ जो भूमिका निभाई वह सिर्फ बतौर एक पायलट नहीं बल्कि एक सलाहकार के रूप में भी थी। जिला प्रशासन से लेकर महानिदेशक, नागरिक उड्डयन (डीजीसीए) ने भी कैप्टन जितेंद्र की सलाह और सहयोग को अहमियत दी, नतीजतन 5 दिनों तक चले रेस्क्यू व इवैकुअशन आपरेशन के जरिये केदार के रास्ते पर जगह जगह फंसे साढ़े 3 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को सकुशल वापस लाया जा सका।

■सभी हैलीपैडस को एक्टिव करने की दी सलाह■
कैप्टन जितेंद्र को एक अगस्त को केदारनाथ से वापसी की फ्लाइट के दौरान ही सारे मंजर की कहानी व जगह जगह फंसे श्रद्धालुओं की स्थिति का भान हो गया। उन्होंने गुलाबराय में मौजूद जिलाधिकारी डॉ सौरभ गहरवार को अपने साथ चौपर में बोर्ड किया और केदारनाथ की ओर उड़े। इस दौरान उन्होंने डीएम को सुझाव देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में स्थित सभी हेलीपैडस को एक्टिव किया जाना जरूरी है। कैप्टेन हरजाई ने डीएम को सलाह देते हुए बताया कि श्रद्धालु अलग अलग स्थानों पर समूह के रूप में फंसे हैं और इन स्थानों के मध्य इंटरकनक्टिविटी भी रास्तों के वाश आउट हो जाने के कारण सम्भव नहीं है। ऐसे में सबसे पहले भीमबली स्थित हेलीपैड को एक्टिव किया जाए, उसके नजदीक फंसे यात्रियों को उसी हैलीपैड से इवैकुएट किया जाय। प्रशासन द्वारा तत्काल भीमबली हैलीपैड को उड़ान के लिए तैयार किया गया। इसी तरह बाद में चीरबासा स्थित हैलीपैड को भी फंक्शन में लाकर कम समय में अधिक श्रद्धालुओं को एयर लिफ्ट किया जा सका।

■डीजीसीए से मांगी टेक्निकल रिलैक्सेशन■
कैप्टेन जितेंद्र हरजाई को यह कैलकुलेट करने में ज्यादा देरी नहीं लगी कि डीजीसीए द्वारा तय फ्लाइंग ऑवर्स व लैंडिंग लिमिटेशन के अनुरूप ही फेरे लगेंगे तो फंसे हुए लोगों को निकालने में बहुत ज्यादा दिन लग सकते हैं। जो फंसे हुए श्रद्धालुओं की जान के लिए जोखिम का सबब हो सकता है। उन्होंने अविलम्ब अपने संपर्कों को टटोलते हुए नई दिल्ली में महानिदेशक नागर विमानम के कैप्टेन विशाल चौधरी से सम्पर्क करते हुए उनसे हालात को देखते हुए फ्लाइंग ऑवर्स की लिमिट को 6 घण्टे से बढ़कर 7.5 घण्टे व लैंडिंग लिमिट को 50 से बढ़कर 80 करने की मांग की। आनन फानन में जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर डीजीसीए द्वारा एक दिन के लिए फ़्लाइंग ड्यूटी टाइम लिमिटेशन(एफडीटीएल) में कैप्टेन जितेंद्र की मांग के अनुरूप रिलैक्सेशन दे दिया गया। किन्तु यह रिलैक्सेशन मात्र एक दिन के लिए मिला था, लिहाज़ा 2 अगस्त को पुनः कैप्टेन हरजाई द्वारा डीजीसीए विंग कमांडर मनु चौधरी से सम्पर्क कर रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने तक इस रिलैक्सेशन को जारी रखने का अनुरोध किया गया। जिसे स्वीकृति मिल गयी।

■डीजीसीए का रिलैक्सेशन साबित हुआ कारगर■
कैप्टेन जितेंद्र हरजाई द्वारा दिये गए सुझावों पर जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग और यूकाडा द्वारा त्वरित अमल किये जाने का नतीजा यह हुआ कि जहां एक हेलीकाप्टर एक दिन में अधिकतम 25 सोर्टीज़ कर पा रहा है वह इस छूट के बाद 40 फेरे लगाने लगा। अभियान में लगे आधा दर्जन से अधिक चौपरों के पायलट्स ने अनथक कार्य करते हुए अधिक से अधिक लोगों को बाहर निकालने का अभियान चलाया। नतीजतन 5 अगस्त तक तीनों हेलीपैडस से साढ़े 3 हजार से अधिक फंसे हुए भोले भक्तों को एयरलिफ्ट के जरिये नया जीवन मिल सका। कैप्टेन जितेंद्र का कहना है कि उनके एयरक्राफ्ट की कैपेसिटी 6 सीट्स की थी लेकिन जहां उन्होंने पाया कि कम वजन के यात्री हैं तो एक अतिरिक्त यात्री को भी बिठाया गया, जिससे कि अधिक से अधिक लोगों को समय पर एयरलिफ्ट करने में मदद मिली।

■गुप्तकाशी के बजाय सिरसी तक निकालने की दी सलाह■
जब जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग ने फंसे हुए यात्रियों को एयरलिफ्ट कर गुप्तकाशी लैंड कराने की योजना बनाई तो कैप्टेन जितेंद्र हरजाई ने जिलाधिकारी को सलाह दी कि गुप्तकाशी तक फ्लाइट टाइम 12 मिनट से ऊपर आ रहा है, जबकि सिरसी तक यह ड्यूरेशन 6 मिनट तक सिमट रही है, लिहाज़ा पहले सभी फंसे हुए यात्रियों को सिरसी पंहुचाया जाय। डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन रुद्रप्रयाग ने इस पर अमल किया और कम समय में तेजी से अधिक से अधिक यात्रियों को एयरलिफ्ट कर सकुशल बचाया जा सका।

■नाजुक घड़ी में साइलेंट लेकिन रियल हीरो साबित हुए कैप्टेन जितेंद्र■
केदारनाथ पैदल मार्ग के जगह जगह टूटने से अलग अलग समूहों में फंसे यात्रियों को बिना एयरलिफ्ट के रेस्क्यू करना सम्भव नहीं था। रास्ता इस कदर टूट चुका था कि उसे जल्द बहाल करना मुश्किल था। ऐसे में एयरलिफ्ट ही अंतिम विकल्प था, अन्यथा बुजुर्ग, बीमार व बच्चों की जा

फंसे हुए श्रद्धालु: कैप्टेन हरजाई के कैमरे से
फ़ोटो कैप्टन हरजाई
सामाजिक व सांस्कृतिक चेतना की प्रतिनिधि पत्रिका अगस्त 2024

न बचाना भी चुनौती बन सकता था। ऐसे में कैप्टेन हरजाई ने अपने तज़ुर्बे के साथ साथ एक कुशल रणनीतिकार की भूमिका में आकर न केवल फंसे यात्रियों के लिए सारथी की भूमिका निभाई बल्कि अपने संपर्कों के तमाम घोड़े खोलते हुए व्यक्तिगत रूप से डीजीसीए से सम्पर्क कर एफडीटीएल में तब्दीली करवायी। फलस्वरूप अभियान में लगे तमाम पायलट्स ने भी उनका साथ देते हुए 5 दिनों में इस अभियान को एक सुखद समापन तक पंहुचाया। कैप्टेन जितेंद्र जैसे जांबाज़ ही असल नायक होने की अहर्ता रखते हैं, जो खामोशी से किसी नाजुक अभियान में एक बड़ी भूमिका निभा जाते हैं।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *