प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में अभी और भी लगेगा समय
★ अब समिति की रिपोर्ट के बाद आएगा ओबीसी आरक्षण पर फैसला तब हो पायेंगे चुनाव★
देहरादून।
लगता है कि प्रदेश में नगर निकायों के चुनाव को अभी और भी समय लग सकता है। ऐसे में 25 अक्टूबर की डेट पर फिर से खतरा मंडराने लगा है। सरकार सदन में नगर पालिका और नगर निगमों के एक्ट में संशोधन करना चाह रही थी जिसको सदन के पटल पर रखा गया पर इस को लेकर विद्यायक एक मत नहीं थे और उन्होंने इस पर अपना विरोध जता दिया।इस विरोध के चलते इसे प्रवर समिति को भेज दिया गया है था। हालांकि प्रवर समिति को अपनी रिपोर्ट एक माह में देनी है।
इस स्थिति में उत्तराखंड के 99 नगर निकायों के चुनावों में अब लगभग 3 माह का और समय लग सकता हैं। विधानसभा में निकायों से संबंधित विधेयक पारित नहीं हो सका जिसके कारण इसको प्रवर समिति को भेजना सरकार की मज़बूरी हो गई थी। निकायों में एकल सदस्यीय आयोग की संस्तुति के हिसाब से ओबीसी आरक्षण लागू किया जाना है। इसके लिए सरकार सदन में नगर पालिका और नगर निगमों के एक्ट में संशोधन का एक्ट लेकर आई थी।इस एक्ट के पारित होने के दौरान विधायकों के विरोध के चलते इन्हें प्रवर समिति को भेज दिया गया है। प्रवर समिति एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी, जिसके बाद दोबारा विशेष सत्र में विधेयक पास होंगे। विधेयक पास होने के बाद चुनाव होने तक की प्रक्रिया में भी एक से डेढ़ माह से अधिक लग सकता है।
विधेयक पास होने के बाद सभी जिलाधिकारी अपने जिले के निकायों में ओबीसी आरक्षण को लेकर नोटिफिकेशन जारी करेंगे। इस पर आपत्तियां व सुझाव मांगे जाएंगे। उनकी सुनवाई पूरी होने के बाद डीएम अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। शासन राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव की संस्तुति भेजेगा।इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग नोटिफिकेशन जारी करेगा। तब जाकर चुनाव होंगे। इन सभी प्रक्रियाओं में समय लग सकता है। लिहाजा, 25 अक्तूबर तक की चुनाव टाइमलाइन फिर संकट में लग रही है।
शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि चूंकि अब मामला प्रवर समिति के पास चला गया है, इसलिए समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे का निर्णय लिया जा सकेगा
। प्रवर समिति की रिपोर्ट आने के बाद विशेष सत्र में विधेयक पारित किए जा सकें।