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नगर निकाय: भ्रष्टाचार किया तो नहीं लड़ पाएंगे चुनाव

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गैरसैंण।

अब नगर निकाय और नगरपालिका के साथ नगर पंचायतों में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए बिल पारित कर दिया गया है। अब वित्तीय अनियमितता करने वाले अध्यक्ष, उपाध्यक्ष अब तुरंत नपेंगे और साथ ही अगले पांच साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। जांच संबंधी नोटिस के साथ ही उनकी शक्तियां सीज हो जाएंगी, दोष सिद्ध होने पर उनकी सदस्यता खत्म करने के साथ ही चुनाव लड़ने पर पांच साल का प्रतिबंध भी लग जाएगा।
गुरुवार को विधानसभा सत्र के दौरान सदन में उत्तराखंड उत्तर प्रदेश नगर पालिका संशोधन अधिनियम 2024 पेश किया गया। अभी तक नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों में अगर कोई अध्यक्ष, चेयरमैन या उपाध्यक्ष भ्रष्टाचार या अन्य किसी मामले में लिप्त होते थे, तो उनकी शक्तियां आखिर तक सीज नहीं हो पाती थीं। इसके चलते आरोपों व जांच के बीच ही उनका कार्यकाल पूरा हो जाता था, लेकिन अब मूल अधिनियम की धारा 48 की उपधारा दो में बदलाव किया गया है। इसके तहत अगर प्रथम दृष्टया अध्यक्ष या उपाध्यक्ष जांच में दोषी पाए जाएंगे तो उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। इस नोटिस के दिन से ही उनकी प्रशासनिक व अन्य शक्तियां सीज हो जाएंगी। उन

सामाजिक व सांस्कृतिक चेतना की प्रतिनिधि पत्रिका अगस्त 2024

की जगह निकाय की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की ओर से नामित अधिकारी संभालेंगे। अधिनियम में ये भी प्रावधान किया गया कि इस धारा-48 की उपधारा 2-क व ख के अधीन दोषी पाने पर वह नगर पालिका व नगर पंचायत का अध्यक्ष नहीं रहेगा और न ही वह उस निकाय का सदस्य रहेगा। अगले पांच साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लगा दिया जाएगा। इस उप धारा के तहत जारी आदेश को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।

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