…. तो कलक्टर गढ़वाल डॉ आशीष जा घुसे गुफ़ा के अंदर…!
अजय रावत अजेय
कम से कम इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि वर्तमान में गढ़वाल जिले की कमान संभाल रहे आईएएस डॉ आशीष चौहान दफ़्तर में बैठकर कलक्टरी करने के बरख़िलाफ़ हैं। दुर्घटना हो, नेचुरल कैलामीटीज़ हों अथवा जिले के अंदर कोई नवाचारी गतिविधि शुरू हो, मौके पर पंहुचना न केवल उनकी अफ़सरी का तरीका है बल्कि शायद उनका यह शगल भी है। गत वर्ष भारी बारिश के दौरान जब व्यासघाट से सतपुली का सड़क मार्ग चार पहिया वाहनों के लिए बाधित हो गया तो डॉ आशीष उधार की फटफटिया लेकर जोखिम उठाते हुए स्वयं बाइक चलाते हुए मौके को रवाना हो गए। बा-हर-हाल आज बात कर रहे हैं डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट चैहान की इतिहास से साक्षात्कार करने की प्रवृत्ति का, जिसके लिए वह जुनून की हद तक बढ़ जाते हैं।
गत वर्ष जिले के कोटद्वार-कण्वाश्रम की मालिनी नदी घाटी के ट्रेक को उनके द्वारा रिकॉर्ड समय में नापा गया, इससे पूर्व यमकेश्वर क्षेत्र से लालढांग के पुराने ढाकर रूट को भी उन्होंने रिकॉर्ड समय में पूरा किया। बीते शुक्रवार को डीएम डॉ चौहान ने गढ़वाल की राजशाही के एक बड़े लैंडमार्क देवलगढ़ को एक्स्प्लोर करने का फैसला लिया। वह पंवार राजवंश की कुलदेवी माँ राजराजेश्वरी के दर्शन तक ही नहीं ठहरे, उन्होंने वहां मौजूद ऐतिहासिक गुफ़ा का स्वयं अवलोकन करने का निर्णय लिया। ज़ाहिर है जब जिले का मुखिया इस तरह से इतिहास व पुरातत्व व वर्जिन टूरिस्ट डेस्टिनेशंस का स्वयं भौतिक रूप से निरीक्षण करे तो लाज़िमी है कि कार्यालयों में अफसरी की ठसक में कुर्सियां घिस रहे पर्यटन, पुरातत्व आदि सम्बंधित महकमों के अफ़सरान भी हरकत में आ जाते हैं। यह तो भविष्य की गर्त में छिपा है सम्बंधित विभाग डीएम के इस निरीक्षण के बाद इस दिशा में आगे बढ़ते हैं या इसे एक दिनी इवेंट बनाकर विस्मृत हो जाते हैं।
हालांकि केव्स के अंदर से बाहर निकल कर जिलाधीश डॉ आशीष ने कहा कि इन गुफाओं की ऐतिहासिकता व संरचना में इतनी पोटेनशी है कि इन्हें यदि देवलगढ़ केव के नाम से देश दुनिया के सामने एक्स्प्लोर किया जाए तो इतिहास एवम एडवेंचर में रुचि रखने वाले सैनाली बड़ी संख्या में देवलगढ़ की तरफ रुख कर सकते हैं।
हालांकि उन्होंने मौके पर ही निर्णय लिया कि देवलगढ़ केव्स के नाम से इस स्थल को विकसित करने में वन विभाग, पर्यटन, पुरात्तव एवम संस्कृति विभागों के कोऑर्डिनेशन से एक व्यापक कार्ययोजना तैयार की जाएगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि डीएम डॉ आशीष चौहान के इन निर्णयों पर सम्बंधित महकमों के अफसर व कारिंदे गंभीरता से आगे बढेंगे, हालांकि जिन महकमों की यहां चर्चा हो रही है वह सिर्फ दफ्तरों तक ही सीमित हैं। हो न हो कि पूर्व में भी डीएम द्वारा कुछ टास्क इन्हें दिए गए होंगे जो शायद कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क या अलमारी के अंदर किसी फ़ाइल में ही क़ैद हों।