उपचुनाव: भगवा ब्रिगेड को बद्रीधाम से हरि की नगरी तक 440 वोल्ट का झटका
हिमतुंग वाणी
एक माह पूर्व ही सम्पन्न हुए लोकसभा आमचुनाव में उत्तराखंड में क्लीन स्वीप करने वाली सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश की दो सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम ने हिला कर रख दिया है। भगवा दल श्री बद्रीनाथ धाम की सीट पर भी बड़े मार्जिन से चुनाव में शिकस्त खा गया, जबकि लोकसभा चुनाव में इस विस् सीट पर भी भाजपा के अनिल बलूनी कांग्रेस पर भारी साबित हुए थे। लेकिन10 जून को हुए विस् उपचुनाव मतदान में उन्ही मतदाताओं ने भाजपा को ठुकरा दिया, जिन्होंने 19 मार्च को लोस मतदान में
भाजपा को प्यार दिया था। भाजपा जहां बद्रीनाथ सीट पर 5हज़ार2सौ से भी ज्यादा मतों से पिछड़ गयी वहीं, मंगलोर सीट पर आयातित किये गए चर्चित नेता अवतार सिंह भड़ाना भी कांटे के मुकाबले में साढ़े चार सौ वोट से हार गए।
बद्रीनाथ सीट पर लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी विधायकी का बलिदान कर भाजपा में शामिल हुए राजेन्द्र भंडारी ने न केवल अपनी छीछालेदर कर दी वरन बद्रीनाथ जैसी धार्मिक मान्यता वाली सीट पर भगवा दल की भी भद्द पिटवा दी। इस सीट पर कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला 5 हज़ार से बड़े शानदार अंतर से चुनाव जीत गए जबकि 2022 में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र भंडारी करीब 2100 वोटों से ही चुनाव जीत पाए थे। लखपत ने कांग्रेस की रही बद्रीनाथ सीट को बचा कर न केवल अपने सुनहरे सियासी भविष्य की नींव रख दी बल्कि कांग्रेस की इज्जत भी बचाकर पार्टी को लोकसभा में सूपड़ा साफ होने के दर्द से भी काफी हद तक उबार दिया।
मंगलोर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के काज़ी मोहम्मद निज़ामुद्दीन ने भाजपा के अवतार सिंह भड़ाना को एक नजदीकी मुकाबले में परास्त कर बसपा से यह सीट छीन विस् में कांग्रेस के आंकड़े में एक सदस्य का इजाफा भी कर दिया। वर्ष 2022 के विस् चुनाव में काज़ी निज़ामुद्दीन बसपा के सरबत करीम अंसारी से महज 6 सौ वोटों से हारे थे।
मंगलोर में भाजपा द्वारा एन केन प्रकारेण चुनाव जीतने की रणनीति के तहत अवतार सिंह भड़ाना जैसे हारियावाणी मूल के नेता को टिकट दिया गया जो दल बदल व प्रदेश बदल के लिहाज से कुख्यात रहा है। भाजपा का यह दांव भी नाकाम ही साबित हुआ।
बहरहाल बद्रीनाथ व मंगलोर के नतीजों ने प्रदेश भाजपा को सन्न कर रख दिया है। जिस भाजपा ने कांग्रेस के राजेंद्र सिंह भंडारी को अपने यहां एंट्री देकर व भड़ाना जैसे धनाढ्य नेता को टिकट देकर रणनीति बनाई थी कि इन दो सीटों पर विजय हासिल कर वह विस् में अपने आंकड़े के ग्राफ को और बुलंद करेगी, वह सब धरा का धरा रह गया। इसके विपरीत मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के ग्राफ में एक पॉइंट की बढ़त हो गयी।
इस झटके के बाद अब प्रदेश भाजपा व राज्य सरकार के समक्ष केदारधाम भी एक बड़ी चुनौती की तरह सामने आने वाला है, जहां की विधायक शैलारानी के निधन के पश्चात वहां भी बाई इलेक्शन होना है। प्रदेश भाजपा के मौजूदा मुखिया महेंद्र प्रसाद भट्ट के घर में भाजपा की फ़ज़ीहत के बाद अब भगवा रणनीतिकारों को केदारनाथ के विषय में फूंक फूंक कर चलना होगा। बद्रीनाथ जैसी सीट की गूंज दिल्ली दरबार तक के लिए अलार्मिंग है, लिहाजा अब भाजपा हाई कमान भविष्य को लेकर अधिक सक्रिय नजर आएगा।