सरकार ने दिए पर्यावरण मित्र, निकायों ने बना दिये भ्रष्टाचार मित्र
हिम् तुंग वाणी
केंद्र सरकार ने भले ही स्वच्छता अभियान को अपनी प्राथमिकता में रखते हुए इस हेतु स्थानीय निकायों को बेहिसाब बजट जारी किया हो, लेकिन निकायों के कर्मियों व निर्वाचित जनों ने इस स्वच्छता अभियान की आड़ में सरकार की ही जेब साफ कर डाली। देहरादून जैसे प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम में तथाकथिक पर्यावरण मित्र पार्षदों व निकाय कर्मियों के लिए भ्रष्टाचार मित्र साबित हुए। यदि प्रदेश के सभी निकायों की निष्पक्ष पड़ताल की गई तो सभी निकायों में भ्रष्टाचार मित्रों की लम्बी लम्बी फेहरिस्त निकलना तय है।
देहरादून नगर निगम की बात करें तो नगर निगम क्षेत्र को स्वच्छ एवं साफ सुथरा रखने के लिए सरकारी खजाने से जमकर पैसा जारी हुआ लेकिन नगर निगम प्रशासन व कतिपय पार्षदों द्वारा सफाई के नाम पर नगर निगम की ही जेब साफ कर दी गयी। बहती गंगा में नहाते हुए तकरीबन सभी पार्षदों ने फर्जी पर्यावरण मित्रों की तैनाती कर 60 करोड़ की धनराशि को खुर्द बुर्द कर दिया गया। निगम क्षेत्र के लगभग सभी 100 वार्डों में यह गड़बड़झाला हुआ है।
आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत मांगी गई जानकारी के बाद यह सनसनीखेज खुलासा हुआ। जानकारी मिली कि निगम के अधीन 100 वार्डों में 1021 पर्यावरण मित्र तैनात किए गए थे। जब इन सभी पर्यावरण मित्रों की सूची खंगाली गयी तो पाया गया कि इनमें से अधिकांश फर्जी हैं। ज़ाहिर है सम्बन्धित वार्डों के पार्षदों ने भी बहती गंगा में हाथ धोते हुए सरकारी बजट पर हाथ साफ किया।
अंकगणितीय आंकलन किया जाए तो प्रत्येक वार्ड में 10 पर्यावरण मित्र तैनात किए गए थे, अर्थात प्रत्येक पार्षद को इस मद से हर माह एक लाख रुपये मिले। ऐसे में अकेले देहरादून नगर निगम में इस मद से 60 करोड़ रुपये की बंदरबांट कर दी गयी।
देहरादून ही नहीं प्रदेश के सभी नगर निगमों, नगर पालिका व पंचायतों में स्वच्छता के नाम पर बड़ी संख्या में पर्यावरण मित्रों की तैनाती की गई है। देहरादून नगर निगम में हुआ खुलासा सिर्फ लिटमस टेस्ट की तरह है, ज़ाहिर है इसी तरह का खेल सूबे के सभी नगर निकायों में हुआ होगा।
अब जबकि सभी नगर निगम व निकाय निवर्तमान मेयर, अध्यक्षों , पार्षदों व वार्ड मेम्बेर्स से मुक्त हो गए हैं ऐसे सभी निकायों में पड़ताल की जाए तो स्वच्छता के नाम पर एक बड़े असंघटित घोटाले का खुलासा होना तय है।