सिलक्यारा विजय से धामी की सियासी जड़ों को मिला खाद पानी
■राज्य सरकार की तरफ से वन मैन आर्मी की तरह डटे रहे धामी
■पीएम मोदी के विश्वास पर खरे उतरे धामी
■इस कामयाबी से सर्वमान्य नेता की तरह उभर कर आये धामी
अजय रावत अजेय (हिम तुंग वाणी)
17 दिन तक अंधेरी सुरंग से बाहर खुली हवा में लौटे हर श्रमिक ने सबसे पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी का शुक्रिया अदा किया। लगभग पुनर्जन्म पाए इन मजदूरों का धामी को दिया यह शुक्रिया सीएम धामी की राजनैतिक जड़ों को बड़ा खाद पानी दे गया।
जब पीएम मोदी ने सीएम धामी को टास्क दिया था कि किसी भी तरह सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए। आखिरकार सभी श्रमिक इस अंधेरी सुरंग से आजाद हो खुले आसमान के नीचे आ गए। जैसे ही मजदूरों की सांसों को नई ऑक्सिजन मयस्सर हुई वैसे ही सीएम धामी के सियासी वज़ूद को गहराई मिल गयी।
इसमें कोई दो राय नहीं कि सीएम धामी इस आपरेशन के दौरान उत्तराखंड सरकार की तरफ से वन मैन आर्मी की तरह मोर्चे पर डटे हुए थे। इस दौरान मंत्रिमंडल के तकरीबन अन्य सभी सदस्य अपने अपने कार्यक्रमों में व्यस्त थे तो सीएम धामी मातलि से ही अपना ऑफिस संचालित कर रहे थे। श्रमिकों को महफूज़ तरीके से बाहर निकालना धामी की प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका था, इस परीक्षा में धामी डिक्टेशन के साथ सफल भी हुए। बताया जा रहा है कि जब पीएम मोदी ने मजदूरों से टेलिफोनिक वार्ता की तो हर मजदूर ने सीएम धामी की तारीफ़ करते हुए केंद्र व राज्य सरकार का शुक्रिया अदा किया।
यदि राज्य की क्षेत्रीय राजनैतिक संतुलन के पैमाने पर समीक्षा की जाए तो इस टनल में फंसे गढ़वाल के कोटद्वार के सुपरवाईजर गब्बर सिंह नेगी ने भी मुक्तकंठ से सीएम धामी की तारीफ के कसीदे पढ़े, जो सीएम धामी के लिये उत्तराखंड की सियासत के दो क्षेत्रीय मानकों के पैमाने पर किसी बड़ी सफलता से कम नहीं।
बहरहाल, सिलक्यारा की सुखद विजय से जहां 41 जिंदगियों को नई सांसें हासिल हुई , वहीं सीएम धामी को एक नई संजीवनी मिली। सबसे अहम बात यह रही कि पीएम मोदी द्वारा दिए गए एक असंभव से टास्क को हासिल करने के बाद धामी पीएम मोदी की गुड बुक में पहले पायदान में आ चुके हैं।